पुष्पमाला!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुष्पमाला – Puspamala. Name of a ruling female deity of a summit (Sagar) in Nandan forest, Wreath; garland. नन्दन वन में स्थित सागर कूट की स्वामिनी दिक्कुमारी देवी, फूलों का हार “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुष्पमाला – Puspamala. Name of a ruling female deity of a summit (Sagar) in Nandan forest, Wreath; garland. नन्दन वन में स्थित सागर कूट की स्वामिनी दिक्कुमारी देवी, फूलों का हार “
उत्सर्गलिंग Form of unclothedness (of Digambar Jaina saints). जैन साधु का द्रव्य (दिगम्बर) लिंग।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुष्कलावती – Puskalavati. Main city of Pushkalavarta area of the east Videh (region). पूर्व विदेह के पुष्कलावर्त क्षेत्र की मुख्य नगरी. अपरनाम पुण्डरीकिणी “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुरुषवेदकर्मप्रकृति – Purusavedakarmaprakrti. Name of the Karmic nature of male causing lust for female. जिस वेदकर्म के उदय से स्त्री में रमण करने की चाह हो “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रणिधि – Pranidhi. A type of deceit or illusion. माया का एक भेद ” व्यापार आदि में हीनाधिक कीमत की सदृशवस्तुओं को मिलाना ( जैसे-सोने में ताँबा आदि), वस्तुओं को तोलने में हेराफेरी करना आदि रूप मायाचार है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रचय – Prachaya. Accumulation, collection, Togetherness. समूह, संग्रह, संचय, साधारण मेलजोल “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रावण – 8 वा प्रतिनारायण राजा रत्नश्रवा व रानी कैकसी का पुत्र अपरनाम दषानन। यह लंका का राजा था इसकी 18 हजार रानियां थी। जैन धर्म के अनुसार सीता का हरण कर नारायण लक्ष्मण के हाथों मरकर तीसरे नरक गया। Ravana-The 8th Pratinarayan, The son of the king ratnasharva his other name was dashanan
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विद्योपजीवन – Vidyapajivana. A fault of food and hermitage related to saint (to attract donor with mystical knowledge). आहार एवं वसतिका का एक दोष; दातार को मंत्र तंत्रादि बताकर आहार एवं वसतिका प्राप्त करना साधु का विद्योपजीवी नामक दोष है “
त्रायस्त्रिंश Thirty three, A type of deities (33 in number). तैंतीस , 33, देवों के इन्द्र, सामानिक आदि दस भेदों में से एक भेद । इनकी संख्या 33 है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रात्रिक पूजा – त्रैकालिक पूजा का एक प्रकार अर्थात रात्रि में पूजा करना। सागार धर्मामृत ग्रंथों में श्रावको के लिए तीनों संध्याओं में पूजन करने का विधान है। Ratrika Puja-A kind of Traikalik worshiping, worshiping the lord in night time