स्वात्मा!
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वात्मा -Svaatmaa. The own soul. आत्म द्रव्य, निज स्वरुप।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भावलिंग (साधु) – Bhavalinga (Sadhu). An absolute saint with perfect conduct. साधु का जैसा बाहर चारित्र है वैसा ही भाव होना ” प्रमत्त- अप्रमत्त गुणस्थान सम्बन्धी भाव होना ही भावलिंग है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सांव्यवहारिक प्रत्यक्ष – Saamvyavahaarika Pratyaksha. Right sensual apprehension or perception. प्रत्यक्ष के दो भेदो मे एक भेद जो ज्ञान इन्द्रिय और मन की सहायता से पदार्थ को एकदेष स्पष्ट जानता है। उसे सांव्यवहारिक प्रत्यक्ष कहते है। यद्यपि सैद्वान्तिक दृष्टिकोण से यह परिभाषा परोक्ष ज्ञान मे धटित होती है परन्तु न्याय की भाषा मे इसे…
तिर्यक्प्रचय Three dimensional extension. प्रदेशों का समूह।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
तिमिंगिल A colossal fish (largest whale). एक सम्मूर्छन महामत्स्य का नाम, जिसकी अवगाहना 1000 योजन की है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
तिक्तरस नामकर्म Karmic nature causing pungent flavour in body. जिसके उदय से शरीर में तीखा रस हो। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
ताम्रचूल Name of a peripatetic deity. भूतरमण वन का भूत जातित का एक व्यंतर। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रवचनसार- आचार्य कुन्दकुन्द (ई. 127-179) कृत ज्ञान, ज्ञेत व चारित्र विशयक एक प्राकृत ग्रंथ। Pravacanasara- A prakrit treatise written by Acharya Kundkund