मिश्र औदरिक कयायोग!
[[श्रेणी :शब्दकोष ]] मिश्र औदरिक कयायोग–Mishra Oudarik Kayayoga. See –Oudarik Mishra Kayayoga. देखे–औदरिक मिश्रकयायोग”
[[श्रेणी :शब्दकोष ]] मिश्र औदरिक कयायोग–Mishra Oudarik Kayayoga. See –Oudarik Mishra Kayayoga. देखे–औदरिक मिश्रकयायोग”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्राप्य कर्म- कर्ता के द्वारा बिना किसी विकार आदि के पदार्थ की प्राप्ति करना। Prapya Karma- Easily attainment of object
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मेरुधन–Merudhan. Name of a chief disciple of Lord Adinath. भगवान्आदिनाथ के एक गणधर का नाम”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्राणातिपातिकी क्रिया- जीवों की इन्द्रिय आदि प्राणों का या एक दो आदि प्राणों का घात करना प्राणतिपातिकी क्रिया है। PranapatikiKriya- damaging any of the senses or vitalities of beings
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पदविभागी: A kind of Criticism, A kind of good conduct of saint. आलोचना का एक भेद, क्षेपक क्षरा आचाय्र्र के आगे क्रम से दोषो की आलोचना करना, साधुओं के क्षरा की जाने वाली समाचारी विधि का एक भेद, समस्त दिन एवं रात की परिपाटी में मुनियों क्षरा नियामें का निरन्तर आचरण करना ।
जघन्य धर्मध्यान Religious observances of lowest kind. उत्तम, माध्यम , जघन्य में धर्मध्यान का तीसरा भेद . यह चौथे -पांचवे गुणस्थान में घटित होता है ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रागभाव- पूर्व पर्याय में वर्तमान पर्याय का जो अभाव है उसे प्रागभाव कहते है। जैसे- आटे मे रोटी का अभाव। Pragabhava- Prior non-existence of something
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पतिव्रत: Loyalty of fidelity to a husband-a characteristic of India calture. भारतीय संस्कृति में नारी का एक विषेष धर्म अपने पति के प्रति एकनिश्ठ समर्पण एवं भक्ति का भाव रखना व अन्य पुरूष के प्रति पिता, पुत्र एवं भाई के समान भाव एवं व्यवहार रखना ।