रत्नकीर्ति!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रत्नकीर्ति – क्षेमकीर्ति ं(इ्र, 998) के षिश्य एवं आराघनासार की संस्कृत टीका भद्रबाहु चरित्र आदि के कत्र्ता Ratnakirti-Name of the disciple of Kshemkirti
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रत्नकीर्ति – क्षेमकीर्ति ं(इ्र, 998) के षिश्य एवं आराघनासार की संस्कृत टीका भद्रबाहु चरित्र आदि के कत्र्ता Ratnakirti-Name of the disciple of Kshemkirti
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वयोवृद्ध – Vyovraddha: Old persons,Aged or senior. उम्र में बड़े ; वृद्ध लोगों की संगति सेवा से अनुभव चारित्र आदि में वृद्धि होती है, मन निर्लेप होता है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भय संज्ञा – Bhaya Samjna. Fear instinct. ४ संज्ञाओं में एक संज्ञा; जिससे बचने की व छिपने की इच्छा होती हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सचित्त – Sachitta. Animate beings, conscious one. जीव सहित पदार्थों को सचित्त कहते हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] मनोरम- Manorama. A type of peripatetic deities , Another name of Sumeru mountain. किन्नर नामक व्यंतर जाति का एक भेद , सुमेरु पर्वत का अपर नाम “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नो संसार – No Sansaara. State of supreme soul (omniscient) before getting salvation. चतुर्गति में परिभ्रमण न होने से तथा अभी मोक्ष की प्राप्ति न होने से सयोगकेवली की जीवन्मुक्त अवस्था ईषत्संसार यो नोसंसार है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रोहित नदी – 14 महानदीयो में तीसरी नदी ये महाहिसवात के पर्वत के सरोवर से निकल कर हैमवत क्षेत्र में बहकर पूर्व समुद्र मे गयी है। Rohita nadi-Name of a great river (one of the 14)
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विरवित –Viravit Name of the disciple of Sinhbal and spiritual teacher of Padmasen पुन्नाटसंघ की गुर्वावली के अनुसार सिंहबल के शिष्य तथा पश्नसेन के गुरु ” समय – ई. श. ७ अंतपाद “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विरति – Virati. To be free from worldly attachments or sins i.e. desirelessness. विरक्त होना, हिंसादी पापों से छुटना, उदासीनता “