चतुर्दशी क्रिया!
चतुर्दशी क्रिया A type of devotional prayer. कृतकर्म ;सिद्धभक्ति , चैत्यभक्ति , श्रुतभक्ति , पंचगुरुभक्ति , शान्तिभक्ति , समाधिभक्तिपूर्वक त्रिकालदेव वंदना करना ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
चतुर्दशी क्रिया A type of devotional prayer. कृतकर्म ;सिद्धभक्ति , चैत्यभक्ति , श्रुतभक्ति , पंचगुरुभक्ति , शान्तिभक्ति , समाधिभक्तिपूर्वक त्रिकालदेव वंदना करना ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] योग्य क्षेत्र – पर्वत, गुहा, वृक्ष की कोटर , नदी का तट, नदी का पुल आदि समस्त ध्यान के योग्य स्थान। Yogya Ksetra-Suitable area or space for meditation
चतुर्दश भूत ग्राम Fourteen Jiva Samas are called Chaturdash Bhutgram. चौदह जीव समास ही चौबीस भूत ग्राम अर्थात् जीवसमूह कहलाते हैं ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] समपर्यकासन तप – Samaparyamkaasana Tapa. A meditational posture (as austerity). कायक्लेश तप का एक भेद। आसन-जिसमें पिडंलियाॅ और स्फिक बराबर मिल जायें वह समपर्यकासन है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] यौवराज्य क्रिया – गर्भान्वय की 53 क्रियाओ में एक क्रिया, इसमें युवराज को अभिशेक राजपटट् वाधा जाता है। Yauvarajya Kriya-An auspicious activity of enthronement
चरण Ascetic conduct, involving in introspection. चारित्र ; अपने में अर्थात् ज्ञानस्वभाव में ही निरंतर रमण करना ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]] मध्य ग्रैवेयक – Madhya Graviveyaka. Three particular heavenly abodes among 9 Graiveyaks. 9 ग्रैवेयक विमानों में बीच के तीन विमान ;यशोधर,सुभद्र , सुविशाल “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रत्नकरंडश्रावकचार – आचार्य समन्तभद्र ं(इ्र, ष, 2) कृत एक संस्कृत ग्रंथ Ratnakaramdasravakacara-Name of a treatise written by Acharya Samantbhadra
गोरति Name of a Vidyadhar-one proficient in super power by birth. एक महारथी विद्याधर ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]] मद्यांग जातीय कल्प वृक्ष- Madyamga Jatiya Kalpavrksha. A type of wish fulfilling tree (providing exhilarating liquids). कल्पवृक्ष ; फैलती हुई सुंगंधि से युक्त तथा अमृत के समान मीठे मधु-मैरेय, सीधु, अरिष्ट और आसव आदि अनेक प्रकार के रसों को प्रदान करने वाले कल्प वृक्ष ” उपचार से इन वृक्षों को मद्यांग कहा है…