पर निंदा!
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पर निंदा:Defamation of others; slander, Censuring others.नीच गोत्र के आस्त्रव का कारण, दूसरों की बुराई करना ।
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पर निंदा:Defamation of others; slander, Censuring others.नीच गोत्र के आस्त्रव का कारण, दूसरों की बुराई करना ।
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वार्थनुमान – Svaarthaanumaana. Subjective inference (caused by perception of some means). अनुमान के दो भेदो मे एक भेद। परोपदेष के अभाव मे भी केवल साधन से साध्य को जानकर जो ज्ञान देखने वाले को उत्पन्न हो जाता है उसे स्वार्थनुमान कहते है। जैसे धुएॅ को देखकर अग्नि का अनुमान लगा लेना।
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वाधीन – Svaadhiina. Self dependent. स्वतंत्र, आत्माधीनं। सिद्वो का सुख संसार के विषयो से अतीत स्वाधीन अव्यय होता है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सांसारिक सुख – Saansaarika Sukha. Worldly sensual pleasures. लौकिक या इन्द्रियजन्य सुख। यह सारा इन्द्रिय विषयक माना जाता है इसलिए यह केवल सुखाभास ही नही, किन्तु निःसंदेह दुखरुप ही हैं।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सहानवस्था विरोध – Sahaanvasthaa Virodha. Mutual opposition in the different states of a matter. विरोध के तीन भेदों में एक भेद । यह विरोध एक वस्तु की क्रम से होने वाली दो प्र्यायों में होता है। नयी पर्याय उत्पन्न होती है तो पूर्व पर्याय नष्ट हो जाती है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रबंधनकाल- बंधते अर्थात एकत्व को प्राप्त होते हैं जिसमें उसे प्रबंधन कहते हैं प्रबंधन प्रबन्णन रुप जो काल है ह प्रबन्णनकाल कहलाता है। prabamdhanakala – period of organisation (organising)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रवचनसार टीका- प्रवचनसार ग्रंथ पर 1. आचार्य अमृतचन्द्र (ई. 905-955) कृत एक संस्कृत टीका “तवप्रदीपिका”, 2. आचार्य जयसेन ( ई. 11-12 अथवा 12-13) कृत “तात्पर्यवृŸिा” संस्कृत टीका। PravacanasaraTika- A commentary book on ‘Pravachanasar’ written by acharyaAmritchandra
उदंबरफल Figs, Fruits of ficus genus class. ऊपर कठूमर पाकर बड़ पीपल आदि वृक्षों के फल ये त्रस जीवों के उत्पत्ति स्थान होने से अभक्ष्य हैं।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पदक्षिणा वर्त- बाई ओर से दांई ओर घूमना, श्रद्धापूर्ण अभिवादन जो इस प्रका प्रदक्षिण द्वारा किया जाये। pradaksina varta – taking round of circumambulation.