आभोग!
आभोग Conducting ritual activities with wrong intention. पूजा महत्व आदि की अभिलाषा से कापोत लेश्यायुक्त भावों द्वारा अति प्रकट अनुष्ठान करना अर्थात् गलत कार्रू करना आभोग है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
आभोग Conducting ritual activities with wrong intention. पूजा महत्व आदि की अभिलाषा से कापोत लेश्यायुक्त भावों द्वारा अति प्रकट अनुष्ठान करना अर्थात् गलत कार्रू करना आभोग है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] परमौदारिक शरीर:Body of Lord Arihant with absolute purity.अहंत परमात्मा का शरीर जिसमें निगोदिया जीव नहीं रहते ,धातु उपधातु सब शुद्व हो जाती है।
देवशर्मा The 5th chief disciple of Lord Rishabhanath. भगवान ऋषभदेव के 84 गणधरों में से 5वें गणधर का नाम।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
एकचर्या A vow for saints, solitary walking. मुनियों का एक व्रत, एकाकी विहार करना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
चोरी- बिना दी हुई वस्तु का लेना चोरी स्तेयहै। इस कथन का अभिप्राय है कि बाह्य वस्तु ली जाय या न ली जाय किंतु जहाँ संक्लेशरूप परिणाम के साथ प्रवृति होती है, वहाँ चोरी का दोष लगता है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सामर्थ्य – Saamarthya. Capability, competence, capacity. शक्ति, बल (जीव में मोक्ष को प्राप्त करने की सामर्थ्य है) ।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] मनरंगलाल- Manarangalala. Name of a writer who wrote Namichandraka, specially 24, worshipping composition of 24 Jaina Lords and many other books. पंडित ; नमिचंद्रका, सप्तव्यसनचरित्र आदि के रचियता ” इनके द्वारा रचित 24 तीर्थंकरों की 24 पूजाएं अत्यंत प्रसिद्द हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] साधु प्रासुक परित्यागता – Saadhu Praasuka Pariytaagataa. A great & meaningful renouncement(reg. perception, knowledge & faith) done by Jaina saints. दया बुद्धि से साधुओं के द्वाराकिये जाने वाले दर्शन, ज्ञान व चारित्र के परित्याग या दान का नाम प्रासुक परित्यागता है। षट्खंडागम के अनुसार 16 कारण भावनाओं में यह एक भावना ।
ऋषभजयन्ती व्रत Vow of the birthday celebration of Jaina-Lord Rishabhadev. भगवान आदिनाथ की जयन्ती चैत्र कृष्ण 9 को उपवास व पूजन।[[श्रेणी:शब्दकोष]]