भावमल!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भावमल – Bhavamala. Inauspicious results of one. अज्ञान, अदर्शन इत्यादिक जीव के परिणाम “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भावमल – Bhavamala. Inauspicious results of one. अज्ञान, अदर्शन इत्यादिक जीव के परिणाम “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भिन्न दश पूर्वी – Bhinna Dash Purvi. One who gets involved in acquiring great knowl-edge. दशमपूर्व विधानुवाद के समाप्त होने पर ७०० क्षुद्र एवं ५०० महाविधाओं के लाभ को जो प्राप्त होता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] योग्य मुद्रा – जिनेन्द्र देव की मुद्रा ध्यानादि के योग्य आसन, पर्यकासन जिनमुद्रा, मुक्ताषुक्ति सुखासन आदि मुद्रा। Yogya Mudra-Appropriate posture for meditation like lord Jinendra deva
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शुद्धद्रव्य – Shuddhadravya The pure substances (Dharma- medium of motion, Adharma- medium of rest, Akash –sky & Kaltime). 6 द्रव्यों में धर्म, अधर्म, आकाश, कालशुद्ध द्रव्य हैं इनमें कभी विभाव परिणमन नहीं होता “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुनरलङ्कृत – Punaralankrta. Re- embellished. पुनः सुशोभित किया हुआ या सजाया हुआ “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] योशा – स्त्री का एक पर्यायवाची नाम इसे युवती कहते हैैै। Yosa-Young women
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == शत्रु : == एक: आत्माऽजित: शत्रु:, कषाया इन्द्रियाणि च। तन् जित्वा यथान्यायं, विहराम्यहं मुने।। —समणसुत्त : १२४ अविजित एक अपना आत्मा ही शत्रु है। अविजित कषाय और इन्द्रियां ही शत्रु हैं। हे मुने ! मैं उन्हें जीतकर यथान्याय (धर्मानुसार) विचरण करता हूँ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुद्गल द्रव्य विशेष गुण – Pudgala Dravya Visesa Guna. Particular properties of the matter (Pudgal). स्पर्श, रस, गंध, वर्ण, मुर्तत्व, अचेतनत्व ये ६ गुण पुद्गल द्रव्य के विशेष गुण हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रत्नगर्भा – भगवान के गर्भ में आने के 6 महीने से पहले से 15 महीने तक जहा रत्नवृृश्टि होती है उस भूमि को रत्न गर्भा कहते है। Ratnagarbha-The land where divinely rain of gems occurred (related to the birth place of lord)
[[श्रेणी : शब्दकोष]] बालक्षुत – Balasruta. Reading of wrong scriptures. आत्म स्वभाव से विपरीत बहुत प्रकार के शास्त्रों का पढ़ाना “