व्यंतर!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] व्यंतर –Vyaintara. Peripatetic deities (i.e. Bhoot, Pishach etc.). चार प्रकार के देवों में एक भेद; इनके भवन अधोलोक में तथा भवनपुर और आवास म्ध्यलोक के द्वीप, सागरों में हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] व्यंतर –Vyaintara. Peripatetic deities (i.e. Bhoot, Pishach etc.). चार प्रकार के देवों में एक भेद; इनके भवन अधोलोक में तथा भवनपुर और आवास म्ध्यलोक के द्वीप, सागरों में हैं “
आहारक मार्गणा An investigation stage expressed about assimilative (Aharak) and non – assimilative (Anaharak) state of beings. 14वीं मार्गणा जिसमें जीवों के आहारक व अनाहारक का कथन है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] बैल – Baila. Bullock, significant mark of Lord Rishabhdeva. Also of Lord Simandhar and Suriprabh situated in Videhkshetra (region) , one of the 16 dream- marks of Tirthankar’s (Jaina Lord’s ) mother . ऋषभदेव भगवान का चिन्ह , विदेहक्षेत्र में स्थित तीर्थकर सीमंधर एंव सुरिप्रभ का चिन्ह , तीर्थकर की माता के…
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पदानुसारी ऋद्वि : A type of supernatural power (related to Predestination of knowledge) एक ऋद्वि इससे आगम का एक पद सुनकर पूर्ण आगम का बोध हो जाता है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वैस्रसिक शब्द – VAisrasika Sabda. Natural sounds (reg. thundering etc.). अभाषात्मक के दो भेदों में एक भेद, मेघ आदि के निमित्त से जो शब्द उत्पन्न होते हैं वे वैस्रसिक शब्द हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निर्विकार – Nirvikaara. Pure, without any defect. विकार रहित “
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यथाख्यात चारित्र–Yathakhyata Charitra. Perfect Conduct. वीतराग भाव, कषायोकेसवर्था अभाव से प्रादुर्भूत आत्मा की शुधि विशेष को यथाख्यात चारित्र कहते है” यह 11वे, 12वे, गुणस्थान में होता है”
आलब्ध An infraction in meditative relaxation. कायोत्सर्ग का एक अतिचार।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] बीजाक्षर – Bijaksara. Essenceful mystic & chanting words. संक्षिप्त शब्द रचना से सहित व अनंत अर्थो के ज्ञान के कारण अनेक चिन्हों से सहित अक्षर ” जैसे, ॐ , ह्रीं, अर्हं इत्यादि “