शुभनंदि!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शुभनंदि – Shubhanandi. A great saint well-versed in ‘Shat Khandagam’, the spiritual teacher of Bappdev. बप्पदेव के शिक्षा गुरु तथा षटखण्डागम के ज्ञाता, रविनंदि के सहचर ” समय ई.श. 1 “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शुभनंदि – Shubhanandi. A great saint well-versed in ‘Shat Khandagam’, the spiritual teacher of Bappdev. बप्पदेव के शिक्षा गुरु तथा षटखण्डागम के ज्ञाता, रविनंदि के सहचर ” समय ई.श. 1 “
[[श्रेणी: शब्दकोष]] परंपरोपनिधा: A sequence related to gradation.श्रेणी प्ररूपणा-जहा पर दुगुणत्व और चतुर्गुणत्व आदि की परीक्षा की जाती है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विनयदत्त – Vinayadatta. Name of a Acharya possessing knowledge of purvas (part of scriptural knowledge – Shrutgyan). मूलसंघ पट्टावली के अनुसार लोहाचार्य के पश्चात् हुए पूर्वधारी आचार्य ” समय – वी.नि. ५६५-५८५ “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भण्डार – Bhandara. Place of storage, store. वस्तु संग्रह का स्थान “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] ब्रह्मविद्या – Brahmavidya. A book written by Acharya Mallishen. आचार्य मल्लिषेण (ई. ११२८ ) द्वारा रचित एक ग्रंथ “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == गुण : == गुणानामाश्रयो द्रव्यं, एकद्रव्याश्रिता गुणा:। लक्षणं पर्यवाणां तु, उभयोराश्रिता भवन्ति।। —समणसुत्त : ६६१ द्रव्य गुणों का आश्रय या आधार है। जो एक द्रव्य के आश्रय रहते हैं वे गुण हैं। पर्यायों का लक्षण द्रव्य व गुण, दोनों के आश्रित रहना है। णयरम्मि वण्णिदे जह ण वि,…
घृतवार द्वीप सागर The 6th island and ocean of middle universe. मध्यलोक का छठा द्वीप व सागर ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सुर -Sura. Ton (of the voice of musical instrument), a tune, A type of deities involved in good deeds. सुरीली ध्वनि, देव, जिनकी अहिंसा आदि के अनुष्ठान में रवि है वे सुर कहलाते है। इनके विपरीत असुर कहलाते है।
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पद्मावती (आर्यिका):A disciple Aryika of Ganini Aryika Shri Gyanmati Mataji. गणिनीपमुख श्री ज्ञानमती माताजी की एक आर्यिका शिष्या। जिन्होंने अपनी त्याग की कठोर साधना के साथ-साथ जीवन में दो बार (ई0 सन 1970एवं 1971 में), भादो के महीे में सोलहकारण के 31-31 उपवास कियें ।
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मौनाध्ययन वृत्ति– Maunaadhyayan vratti. To study silently. शास्त्र समाप्ति पर्यत गुरु के पास मौनपूर्वक अध्ययन करना”