पार्श्वनाथ विधान!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पार्श्वनाथ विधान – Parsvanatha Vidhana. A worshipping book written by Ganini Gyanmati Mataji. पूज्य गणिनी श्री ज्ञानमती माताजी द्वरा रचित १०८ अर्ध्यों से समन्वित एक पूजा ग्रंथ “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पार्श्वनाथ विधान – Parsvanatha Vidhana. A worshipping book written by Ganini Gyanmati Mataji. पूज्य गणिनी श्री ज्ञानमती माताजी द्वरा रचित १०८ अर्ध्यों से समन्वित एक पूजा ग्रंथ “
धरणा Name of the Ganini (chief Aryika) in the holy assembly of Lord Sheetalnath. शीतलनाथ भगवान के समवशरण की गणिनी (प्रमुख आर्यिका) का नाम।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वयोपेक्षा विवर्जन – Vayopekshaa Vivarjana: Disruption of meditative relaxation due to old age (a fault ). व्युत्सर्ग का एक दोष ;वृद्धावस्था के कारण कायोत्सर्ग को छोड़ देना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] न्यग्रोधपरिमंडलसंस्थान नामकर्म – Nyagrodhaparimandalasanathan Naamkarma. Karmic nature causing partly asymmetrical configuration of body. जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर बड़ के पेड़ के समान नाभि के ऊपर मोटा और नीचे पतला होता है “
धनपाल A type of peripatetic celestials, Name of the writer of ‘Bhavishyadatta Charitra’. यक्ष जाति के व्यंतर देवों के 12 भेदों में नवां भेद, ‘ भविष्यदत्त चरित्र’ प्राकृत के कर्ता।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भूता – Bhuta. Name of a female beloved divinity of a peripa-tetic deity ‘Mahabhim’. महाभीम नामक व्यंतर देव की एक देवी का नाम “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भद्रबाहु – Bhadrabahu। The 5th Shrutkevali (one of the great Acharyas. Having complete scriptural knowledge). अंतिम केवली जम्बूस्वामी के बाद हुए ५ श्रुत केवलियों में अंतिम श्रुतकेवली ” इनके काल मे ही बारह वर्षीय दुभ्रीक्ष के दौरान श्वेताम्बर मत की उत्पति हुई थी “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भरतकूट – Bharatakuta. Name of summits of Vijayardh & Himvan moun- tains. विजयार्ध पर्वत की उत्तर व दक्षिण श्रेणियों पर स्थित कूट एंव हिमवान् पर्वत पर स्थित एक कूट “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == धर्मध्यान : == ध्यानोपरमेऽपि मुनि:, नित्यमनित्यादिभावनापरम:। भवति सुभावितचित्त:, धर्मध्यानेन य: पूर्वम्।। —समणसुत्त : ५०५ मोक्षार्थी मुनि सर्वप्रथम धर्मध्यान द्वारा अपने चित्त को सुभावित करे। बाद में धर्मध्यान से उपरत होने पर भी सदा अनित्य—अशरण आदि भावनाओं के चिंतवन में लीन रहे।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नोकर्म नारकी – Nokarma Naarakee. Nokarma dravyas causing hellish realm. पाश, पंजर, यंत्र आदि नोकर्म द्रव्य जो नारकभाव की उत्पत्ति में कारण भूत होते है, नोकर्म द्रव्य नारकी हैं