द्रव्य प्राण!
द्रव्य प्राण Physical vitalities essential to life. 10 प्राण 5 इन्द्रियां, मन, वचन, काय, आयु तथा श्वासोच्छ्वास।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
द्रव्य प्राण Physical vitalities essential to life. 10 प्राण 5 इन्द्रियां, मन, वचन, काय, आयु तथा श्वासोच्छ्वास।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्राप्य कर्म- कर्ता के द्वारा बिना किसी विकार आदि के पदार्थ की प्राप्ति करना। Prapya Karma- Easily attainment of object
द्रव्य निमित्तक Circumstantial transformation of matters. द्रव्य कर्म का निमित्त पाकर क्रोधादि कषायरूप परिणमन होना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्राणातिपातिकी क्रिया- जीवों की इन्द्रिय आदि प्राणों का या एक दो आदि प्राणों का घात करना प्राणतिपातिकी क्रिया है। PranapatikiKriya- damaging any of the senses or vitalities of beings
द्रव्य उपक्रम A type of Upakram – a pursuance in accordance with natural matters. उपक्रम का एक भेद (उपक्रम- जो प्रकृत प्रदत्त पदार्थ के अर्थ को अपने समीप करता है)। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
जघन्य धर्मध्यान Religious observances of lowest kind. उत्तम, माध्यम , जघन्य में धर्मध्यान का तीसरा भेद . यह चौथे -पांचवे गुणस्थान में घटित होता है ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रागभाव- पूर्व पर्याय में वर्तमान पर्याय का जो अभाव है उसे प्रागभाव कहते है। जैसे- आटे मे रोटी का अभाव। Pragabhava- Prior non-existence of something
द्रविक A liquid substance or melted substance. पतला, तरल पदार्थ।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] बलाधानहेतु- शक्ति सम्पन्न कारण; सुख-दुख की उत्पत्ति में कर्म बलाधान हेतु है। Baladhanahetu- Karmas causes bliss & pain