आत्मश्रद्धान!
आत्मश्रद्धान Self – respect with self devotion. शरीर और वचन के स्वरूप को आत्मा से भिन्न जानते हुए समय को वैराग्य और ज्ञान से व्यतीत करना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
आत्मश्रद्धान Self – respect with self devotion. शरीर और वचन के स्वरूप को आत्मा से भिन्न जानते हुए समय को वैराग्य और ज्ञान से व्यतीत करना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
तत्वज्ञ One possessing real and true knowledge. तत्वों का यथार्थ ज्ञाता ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रचण्ड – Prachanda. Great force, Impetous, Violence, Vehemence. तीक्ष्ण, उग्र, उत्कट, भीषण “
इन्द्रच्छन्द A radiant garland (string of pearls) worn by Indra, Chakravarti etc. एक दैदीप्यमान हार इसे इन्द्र चक्रवर्ती आदि धारण करते हैं।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
त्रिगर्त Sovereign of three Khands (divisions) of Bharat Kshetra etc. भरत क्षेत्र मध्य आर्य खण्ड का देश। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मुकुंद– Mukund. Name of a mountain of Bharat Kshetra Arya Khand (region). भरत क्षेत्र के आर्य खण्ड का एक पर्वत”
ऐरावती The other name of the mother of Lord Shantinath, Name of a river of Sambhutaraman forest. भगवान शान्तिनाथ की माता का दूसरा नाम, सम्भूतरमण वन की नदी जिसके किनारे विद्याधर चंदना को छोड़ गया था।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
आध्यान Repeated reflections. अनित्यादि12 भावनाओं का बार-बार चिंतवन करना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नाभिकीर्ति – Nabhikirti Name of a Bhattarak of Nandi group नंदी संघ के एक भट्टारक का नाम ”
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == निक्षेप : == युक्ति—सुयुक्तमार्गे, यत् चतुर्भेदेन भवति खलु स्थापनम्। कार्ये सति नामादिषु, स निक्षेपो भवेत् समये।। —समणसुत्त : ७३७ युक्तिपूर्वक उपयुक्त मार्ग में प्रयोजनवश नाम, स्थापना, द्रव्य और भाव में पदार्थ की स्थापना को आगम में निक्षेप कहा गया है। द्रव्यं खलु भवति द्विविधं, आगमनोआगमाभ्याम् यथा भणितम्। अर्हत्—शास्त्रज्ञायक:…