संसार!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संसार- Sansaara. World, Wordly wandering through birth & death cycle. कर्म के विपाक के वश से आत्मा को भवांतर की प्राप्ति होना संसार है (चारों गतियों में भ्रमण होना) “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संसार- Sansaara. World, Wordly wandering through birth & death cycle. कर्म के विपाक के वश से आत्मा को भवांतर की प्राप्ति होना संसार है (चारों गतियों में भ्रमण होना) “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] मनुष्यक्षेत्र – Manushya kshetra. The human world. ढाईद्वीप; इससेबाहरमनुष्यकाजन्मनहींहोताहै ” इसकाविस्तार 45 लाखयोजनहै ” अपरनाम – नरकलोक , मनुष्यलोक, मर्त्यलोक “
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वद्रव्यादि ग्राहक द्रव्यार्थिक नय – Svadravyaadi Graahaka Dravyaarthika Naya. A standpoint accepting the real nature of a matter. जो नय स्वद्रव्यादि चतुष्टय की अपेक्षा से द्रव्य का सत् स्वरुप ग्रहण करे।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वेदी शुध्दि–VediSuddhi A particular kind of ritual procedure of purifying the altar of a temple with the chanting of particular Mantras and 81 auspicious water pitchers. मंदिरों में भगवन को विराजमान करने वाली वेदी की सोभाग्यवती महिलाओ द्वारा घटयात्रा के पश्च्यात विशेष मन्त्रपूरक ८१ कलशो से की जाने वाली शुध्दि “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विभुत्व शक्ति – Vibhutva Sakti. The supreme thought which is pervaded every where. सर्व भावों में व्यापक ऐसी एक भाव रूप शक्ति ” जैसे – ज्ञानरूपी एक भाव सर्व भावों में व्याप्त होता है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विप्रतिपत्ति – Vipratipatti. Mutual controversial principles. एक वस्तु में परस्पर विरोधी दो वादों का नाम विप्रतिपत्ति है अथवा विपरीत निश्चय का नाम विप्रतिपत्ति है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्वप्न – Svapna. Dream, one of the 8 parts of causative knowledge (Nimittagyan).कल्याणवाद पूर्व मे वर्णित निमित्तज्ञान के 8 अंगो मे प्रथम अंग। स्वप्न दो प्रकार के माने गये है स्वस्थ स्वप्न और अस्वस्थ स्वप्न।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भुजंगशाली – Bhujangashali. A type of peripatetic deities. महोरग जातिय व्यंतर देवों का एक भेद “
देवत्रिक Triplet of Karmic nature related to celestial body form . देवगति , देवायु , देवगत्यानुपूर्वी[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] ब्रह्मोत्तर (पटल) – Brahmottara (Patala). Name of the 4th Patal (layer) and Indrak Viman of Brahma. ब्रह्म स्वर्ग का चौथा पटल व इंद्रक विमान “