कवि :!
[[जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == कवि : == परेषां दूषणाज्जातु न बिभेति कवीश्वरा:। किमुलूकभयाद् धुन्वन् ध्वान्तं नोदेति भानुमान्।। —आदिपुराण : १-७५ दूसरों के भय से कविजन (विद्वान) कभी डरते नहीं हैं। क्या उल्लुओं के भय से सूर्य अंधकार का नाश करना छोड़ देता है ?