तीन लोक विषयक अनेक ग्रंथों में जम्बूद्वीप का विस्तृत विवेचन पढ़ने को मिलता है | उन ग्रंथों को पढ़कर , अच्छी तरह से मनन चिंतन , अध्ययन करके माताजी ने यह जम्बूद्वीप नाम की छोटी सी पुस्तक तैयार की है | ” गागर में सागर ” के समान जम्बूद्वीप विषयक पर्याप्त जानकारी इस पुस्तक से प्राप्त हो जाएगी | यथास्थान तत्संबंधित कुछ चित्र भी दिए गए हैं |
इसमें तीन कथानक लघु नाटिकाओं के रूप में प्रस्तुत किये गए हैं | १- दृढसूर्य चोर एवं णमोकार महामंत्र का प्रभाव, २- अहिंसा की पूजा { यमपाल चांडाल की दृढ प्रतिज्ञा } ३- सती चंदना | इसको पढ़ने से आगम के अनुसार सारा कथानक ज्ञात होकर तत्संबंधित शिक्षा प्राप्त होती है क्योंकि नाटक एक ऐसा माध्यम है जिससे सहज ही उस विषय का ज्ञान हो जाता है |