इस अकृत्रिम वृक्षों पर जिनमंदिर पुस्तक में जैन समाज की सर्वोच्च साध्वी परम पूज्य
गणिनी प्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी ने त्रिलोकसार, तिलोयपण्णत्ति, जंबूद्वीप-
-पण्णत्ति, लोकविभाग, तत्त्वार्थवार्तिक आदि अनेक ग्रंथों का अध्ययन करके जम्बूवृक्ष, शाल्मली वृक्ष आदि वृक्षों की परिवार संख्या को निकाला है। जितने इनके परिवार वृक्ष हैं उतने ही जिनमंदिर हैं। जिनका विस्तार से इस पुस्तक में पूज्य माता जी ने वर्णन किया है।
इस ‘अकृत्रिम वृक्ष जिनालय विधान’ में परम पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी ने
ढाईद्वीप के अन्दर पंचमेरु सम्बन्धी दस अकृत्रिम वृक्ष हैं, जिन पर जिनमंदिर एवं
जिनप्रतिमाएँ विराजमान हैं, उनकी पूजा दी है। इन दस अकृत्रिम वृक्षों के जितने
परिवार वृक्ष हैं उन सब पर भी जिनमंदिर एवं जिनप्रतिमाएँ हैं उन सभी प्रतिमाओं को
भी इस विधान में अर्घ्य चढ़ाया है।