आस्रव त्रिभंगी- पढ़ें
पाँच मिथ्यात्व आदि से आस्रव के ५७ भेद हैं | इन्हें चौदह गुणस्थानों और मार्गणाओं में घटाया है और चार्ट भी दिए गए हैं | यह भी श्रुतमुनि की रचना है | माताजी ने सन् १९७३ में इसका अनुवाद किया है |
पाँच मिथ्यात्व आदि से आस्रव के ५७ भेद हैं | इन्हें चौदह गुणस्थानों और मार्गणाओं में घटाया है और चार्ट भी दिए गए हैं | यह भी श्रुतमुनि की रचना है | माताजी ने सन् १९७३ में इसका अनुवाद किया है |
जम्बूद्वीप के मध्यलोक में असंख्यातों द्वीप समुद्र हैं, इनमें सबसे पहला द्वीप जम्बूद्वीप हैं | इसमें 7 क्षेत्र हैं, 6 पर्वत हैं, 6 सरोवर हैं | इन सरोवरों में रत्नमयी पृथिवीकायिक कमल हैं | इन कमलों पर श्री, ह्री आदि देवियाँ निवास करती हैं | इन देवियों के भवनों में रत्नों से निर्मित जिनमन्दिर हैं | इन सभी परिवार कमलों के ऊपर भी जिनभवन बने हुए हैं | इन सबमें जिनप्रतिमाएं विराजमान हैं |