केवलज्ञान गीत
केवलज्ञान गीत तर्ज-तुम तो ठहरे परदेशी....... समवसरण दर्शन करो, तो भव्य कहलाओगे। यदि तुम अभव्य हुए, तो दर्श नहीं पाओगे।। टेक.।। प्रभु जी की धर्म सभा, में जो भी आता है। तुम भी दिव्यध्वनि को सुनो, तो भव से तिर जाओगे।। समवसरण.।।1।। गूंगे भी वहाँ जाकर, बोलने लग जाते हैं। तुम भी आज श्रद्धा करो,...