अयोध्या तीर्थ परिचय – जैनधर्म अनादिनिधन धर्म है और तीर्थंकर परम्परा भी शाश्वत है। इस सार्वभौम धर्म में अनंतानंत तीर्थंकर हो चुके हैं, होते हैं और आगे भी होते रहेंगे। पूर्वाचार्य प्रणीत प्राचीन ग्रंथों में जैनधर्म में दो ही शाश्वत तीर्थ माने गए हैं—(१) शाश्वत जन्मभूमि अयोध्या, जहाँ तीर्थंकर भगवन्तों के जन्म होते हैं और…
मांगीतुंगी सिद्धक्षेत्र बीसवीं सदी के प्रथमाचार्य चारित्रचक्रवर्ती श्री १०८ शांतिसागर जी महाराज की अक्षुण्ण परम्परा के पंचम पट्टाधीश आचार्यश्री १०८ श्रेयांससागर महाराज की प्रेरणा से लगभग २५-३० वर्ष पूर्व इस तीर्थ के विकास का कार्य एवं जीर्णोद्धार प्रारंभ हुआ। वहाँ के आर्यिका संघ के, क्षेत्र के ट्रस्टियों एवं महाराष्ट्र प्रान्तीय भक्तों के विशेष आग्रह पर…
भगवान महावीर केवलज्ञान भूमि जृम्भिका (जमुई) (बिहार) तीर्थ परिचय बिहार के अधिका ग्राम (वर्तमान में अमूई ग्राम) में ऋजुकूला नदी के तट पर भगवान महावीर स्वामी को केवलज्ञान की प्राप्ति हुई थी। जैन समाज की सर्वोच्च साध्वी गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी की पावन प्रेरणा एक मंगल आशीर्वाद से स्वस्तिश्री पीठाधीश रवीन्द्रकीर्ति स्वामीजी के सान्निध्य में…
कमल मंदिर कमल मंदिर में विराजमान कल्पवृक्ष भगवान महावीर की अतिशयकारी, मनोहारी एवं अवगाहना प्रमाण सवा दस फुट ऊँची खड्गासन प्रतिमा सर्वप्रथम फरवरी सन् 1975 में इस प्रतिमा की प्रतिष्ठा होने के बाद ही क्षेत्र का विकास प्रगति को प्राप्त हुआ और आज भी जम्प ही नहीं अपितु पूरे हस्तिनापुर में तीर्थ विकास के…
भगवान महावीर जन्मभूमि कुण्डलपुर (नालंदा-बिहार) का विकास भगवान महावीर के 2600 वें जन्मकल्याणक महोत्सव के अवसर पर पूज्य माताजी ने उनकी वास्तविक जन्मभूमि कुण्डलपुर (नालंदा) के उपेक्षित स्वरूप को विकसित करने की प्रेरणा देकर वास्तव में जैन समाज पर महान उपकार किया है। वहाँ लघुकाय प्राचीन मंदिर में कीर्तिस्तंभ का निर्माण करके दिगम्बर जैन त्रिलोक…
राजगृही तीर्थ परिचय बीसवें तीर्थकर भगवान मुनिसुतनाथ के जन्म से पवित्र राजगृही नगर बिहार प्रान्त के नालंदा जिले मे स्थित है। भगवान मुनिसुक्न नाथ ने राजराही के राजा सुमित्र की महारानी सोगा की पवित्र कुक्षि से वैशाख कृ. 12 के दिन जन्म लिया। इनके गर्भ जन्म, तप, ज्ञान इन चार कल्याणको से पावन राजगृही तीर्थ…
जम्बूद्वीप, तेरहद्वीप एवं तीनलोक रचना (संक्षिप्त परिचय) हस्तिनापुर में निर्मित जम्बूद्वीप रचना में- १. सुदर्शनमेरु नाम से सुमेरु पर्वत एक है। २. अकृत्रिम ७८ जिनमंदिर में ७८ जिनप्रतिमाएँ हैं। ३. १२३ देवभवनों में १२३ जिनप्रतिमाएं विराजमान हैं। ४. श्रीसीमंधर आदि तीर्थंकर के ६ समवसरण हैं। ५. हिमवान आदि ६ पर्वत हैं। ६. भरत, हैमवत, हरि,…