भीमसेन!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भीमसेन – Bhimasena. Name of an Acharya, one of the 5 Pandvas. आचार्य अभयसेन के शिष्य जिनसेन के गुरु एक आचार्य, ५ पांडवों में एक पांडव ” इन्हें भीम कहते हैं, इनके शरीर में बहुत बल था “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भीमसेन – Bhimasena. Name of an Acharya, one of the 5 Pandvas. आचार्य अभयसेन के शिष्य जिनसेन के गुरु एक आचार्य, ५ पांडवों में एक पांडव ” इन्हें भीम कहते हैं, इनके शरीर में बहुत बल था “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वर्षधर – Varshadhar.: Mountains like Himvan etc. are called Varshadhar because they cause in the division of areas . हिमवन आदि पर्वतों के कारण क्षेत्रों का विभाग होने से इन पर्वतों को वर्षधर कहते हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंचनद – Panchanada. Another name of Punjab state. वर्तमान पंजाब “
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मुखनिर्विष ऋद्धि–Mukhanirvisha Riddhi. A type of super natural power of making poisionless. जिस ऋद्धि के प्रभाव से उग्र विष से मिला हुआ आहार भी जिनके मुख में जाकर निर्विष हो जाता है अथवा जिनके मुख से निकले हुए वचन के सुनने मात्र से महाविष व्याप्त भी कोई व्यक्ति निर्विष हो जाता है”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वर्णविभाग – Varnavibhaaga.: Four classes into which Indo-Aryan society was early divided. वर्णव्यवस्था या वर्णभेद;क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र, ब्राह्मण “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विष – Visha. Poison, intense fruition of inauspicious Karmas is also called as poison. जहर, अशुभ कर्म के तीव्र उदय रूप फल को भी विष की संज्ञा प्रदान की गई है “
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पभोसा (तीर्थ):Name of a pace of pilgrimage which is the institution & Omniscience place of the 6th Tirthankar (Jaina Lorde) Padmaprabh situated near Kaushambi (U.P) उत्तर प्रदेश में कौशम्बी के निकट बसा एक तीर्थ । छठे तीर्थकर भगवान पदमप्रभ की दीक्षा एवं केवलज्ञान कल्याणक भूमि । पूज्य गणिनी श्री ज्ञानमती माताजी की प्रेरणा…
[[श्रेणी :शब्दकोष]] म्लेच्छ खण्ड–Mlechha Khand. Particular parts of earth according to Jain Philosophy where Mlechha people live. म्लेच्छ मनुष्योंकी आवास भूमि”
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मिथ्या शल्य–Mithya Shalya. False concept of religious devotion. ‘अपना निरंजन दोष रहित परमात्मा ही उपादेय है’ ऐसी रूचिरूप सम्यक्त्व से विलक्षण मिथ्याशल्य कहलाती है ” अर्थात् मिथ्यात्व में रूचि रखते हुए व्रतों का पालन करना “