पुण्यप्रभ!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुण्यप्रभ -Punyaprabha. Protecting deity of Kshaudravaradvip (island). क्षौद्रवर द्वीप का रक्षक देव “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुण्यप्रभ -Punyaprabha. Protecting deity of Kshaudravaradvip (island). क्षौद्रवर द्वीप का रक्षक देव “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वादी – Vaadii.: Expert in spiritual argument,Preceptor possessing knowledge of main principle of Jainism,The plaintiff, a complainant. शास्त्रार्थ में विजय प्राप्त करने में कुशल ,मुनियों का एक भेद-सिद्धांतो के प्रतिष्ठापक मुनि,तीर्थंकरों की समवशरण सभा में ऐसे मुनियों का समूह रहता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंडित – Pandita. A religious learned person, one having right spiritual faith. ञानी, जो पुरुष परमात्मा को शरीर से जुदा एवं केवलज्ञान से पूर्ण जानता है वही परम समाधि में तिष्ठता हुआ पंडित अर्थात् अन्तरात्मा है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लब्ध्यपर्याप्तक – अपर्याप्तक नाम कर्म के उदय से जो जीव अपने योग्य पर्याप्तियों को पूर्ण किए बिना ही ष्वास के 18 वें भाग में मरण को प्राप्त हो जाता है अर्थात जिसके एक भी पर्याप्ति पूर्ण नही होती उसे लब्ध्यप्र्याप्तक कहते है। Labdhyaparyaptaka-Absolutely, non development beings (Having very short life)
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मुनिमार्ग–Munimaarg. The prescribed auspicious path for saints. इसके दो भेद है; उत्सर्ग–शुद्धोपयोग रूपपरमवीतरागसयम हो, अपवाद जहा शुद्धोपयोग के बाहरी साधनों का व्यवहार हो या शुभोपयोग रूप सराग सयम हो”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] राज्यातिक्रम – करवंचन – राज्य नियमों के विरूद्ध टैक्स चुडी बचाना आदि अस्तेय व्रत का एक अतिचार। Rajyatikarma-Tax evasion
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वात्सल्य – Vaatsalya.: Affection,Tender feeling (an auspicious quality). साधर्मी के प्रति निःस्वार्थ प्रेमभाव रखना (सम्यग्दर्शन का एक अंग एवं सोलहकरण भावना की एक भावना )”
एकतत्व अनुप्रेक्षा Feeling of solitude, one of the twelve reflections or 12 feelings of introspection (Barah Bhavana). बारह भवनाओं में एक भावना- मैं अकेला ही जन्मता मरता हूँ, मेरा कोई साथी नहीं है, इस प्रकार चिंतन करना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वाचा वैयावृत्त्य विवेक – Vaachaa Vaiyaavrttya Vivek.: Not to allow others to serve oneself (a kind of discrimination). विवेक का एक भेद, तुम मेरी वैयावृत्त्य मत करो ऐसे वचन बोलना “