याज्ञिक मत!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] याज्ञिक मत – संसारी जीव की कभी मुक्ति नहीे होती ऐसा मानने वाला मत। Yajnika Mata-A doctrine believing no salvation of worldly beings
[[श्रेणी:शब्दकोष]] याज्ञिक मत – संसारी जीव की कभी मुक्ति नहीे होती ऐसा मानने वाला मत। Yajnika Mata-A doctrine believing no salvation of worldly beings
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सर्वजय – Sarvajaya. Name of the son of Vidyadhar Vinami. विद्याधर विनमि का पुत्र।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] योग्यता – अपने आवरण अर्थात ज्ञान को ढकने वाले कर्म के क्षयोपक्षम को योग्यता कहते है अर्थात सामथ्र्य ज्ञान की अनुरूपता। Yogyata-talent, capability, Competency, Qualification
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सरस्वती – Sarasvatee. Goddess of learning, Resonant preaching of Tirthankars (Jaina-Lords), mother’s name of the 11th Jaina-Lord of Videh (region), the female beloved divinity of an Indra in peripatetic deities of Gandharva type. विद्या की देवी, द्वादशांग जिनवाणी के प्रतीक रुप मे देवी के आकार की सरस्वती की मूर्ति जैन आगम मे मान्य है।…
दर्शनविशुद्धि Purity of right faith. 16 कारण भावना में पहली भावना सम्यग्दर्शन को अत्यन्त निर्मल व दृढ़ हो जाना। इसके होने पर ही तीर्थंकर प्रकृति का बंध संभव है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
चालिसिय A type of conduct deluding Karmas. चारित्र मोहनीय ; ४० कोटाकोटी स्थिति वाले बंध चालिसिय कहलाते हैं ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
त्रिभुवनस्वयंभू Son of the poet Svayambhu. कवि स्वयंभू के पुत्र जिसने वृहत्सर्वज्ञसिद्धि की रचना की । [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रोगराहित्य – रोगरूपी बाधा का अभाव होना। अर्हत भगवान के देवकृत अतिषयों में एक अतिषय। समवषरण में सम्पूर्ण जीवों को रोग आदि की बाधाए नही होना। Rogarahitya-Devoid of disease, an excellence of lord Arihant