व्यजन!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] व्यजन –Vyajana. Fan. पंखा “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष]] == द्रव्यदृष्टि : == भारी पीलो चीकणो कनक, अनेक तरंग रे। पर्याय दृष्टि न दीजिए, एकज कनक अभंग रे।। —आनन्दघन ग्रंथावली :: अरजिन स्तवन स्वर्ण के साथ पर्याय रूप में तीन गुण निहित रहते हैं—भारीपन, पीलापन और चिकनापन अर्थात् सोना वजन में भारी, रंग से पीता और गुण से चिकना…
उद्दिष्ट त्याग प्रतिमा The 11th Pratima (model stage) of devotees. श्रावकों की 11 वीं प्रतिमा गृहत्याग करके जीवनपर्यंत उद्दिष्ट आहार का त्याग कर देना इस प्रतिमा के धारक ऐलक-क्षुल्लक कहलाते हैं।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
दीपमालिका व्रत A vow of Deepawali festival. कार्तिका कृ. 30 को वीरनिर्वाण के दिन उपवास करना, शाम को दीपक जलाना एंव भगवान महावीर स्वामी का मंत्र जाप्य करना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्वपर प्रकाशक – Svapara Prakaasaaka. Omniscience (causing enlightenment of self & others)ज्ञान। केवलज्ञान जो निश्चय नय से स्व को और व्यवहार नय से पर को जानता है।
उदयकाल Fruition period, matuarity time (of Karmas). नियतकाल कर्म के उदय स्थाान जिस समय उदय योग्या है उस ही काल में उदय होना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
जयपाल Name of an Acharya possessing knowledge of 11 Angas (scriptural knowledge). ११ अंगधारी पांच मुनियों में दूसरे मुनि (वी. नि. ३६३-३८३)।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सत्वापसरण – Satvaapasarana. Regression of Karmic nature. कर्म प्रकृतियों का सत्ता में घटना या अपसरण होना “
दयालु Compassionate, merciful, kind person. दयाभाव रखने वाला। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विनयंधर – Vinayandhara. Name of a great Acharya possessing some knowledge of Anga & Purva (part of scriptural knowledge). लोहाचार्य के बाद हुए अंग और पुर्वों के एक देश के ज्ञाता ४ मुनियों में प्रथम मुनि “