नंदीश्वर द्वीप!
नंदीश्वर द्वीप मध्यलोक के असंख्यात द्वीपों में आठवां द्वीप है, वहाँ मनुष्य तो जा नहीं सकते अत: चारों निकाय के देवगण वहाँ जाते और पूजा आदि करते है”
नंदीश्वर द्वीप मध्यलोक के असंख्यात द्वीपों में आठवां द्वीप है, वहाँ मनुष्य तो जा नहीं सकते अत: चारों निकाय के देवगण वहाँ जाते और पूजा आदि करते है”
[[श्रेणीःशब्दकोष]] इष्टवियोगज-मनोग्य वस्तु के वियोग होने पर उसकी प्राप्ति की सतत चिन्ता करना इष्टवियोगज आर्त्तध्यान है”
[[श्रेणी]]: शब्दकोष]] इषुकार-धातकीखण्ड व पुष्करार्द्ध इन दोनों द्वीपों की उत्तर व दक्शिण दिशाओं में एक-एक पर्वत स्थित हैं ” इस प्रकार चार इष्वाकार पर्वत हैं जो उन उन द्वीपों को आधे-आधे भागों में विभाजित करते हैं “
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निर्ग्रन्थ मुनि-इनके २८ मूलगुण होते है,आरंभ और परिग्रह से रहित होते है,और ज्ञान,ध्यान में हमेशा लीन रहते है”वे मुनि- निर्ग्रन्थ मुनि कहलाते है”
जो पर्व किसी के द्वारा शुरू नहीं किये जाते हैं ,प्रत्युत अनादिकाल से स्वयं चले आ रहे हैं और अनंतकाल तक चलते रहेंगे वे अनादिपर्व कहे जाते हैं ।
जो पर्व किन्हीं महापुरुषों की स्मृति में प्रारंभ होते हैं , वे सादिपर्व होते हैं ।