अनशन :!
[[श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार]] == अनशन : == मासे मासे तु यो बाल:, कुशाग्रेण तु भुङ्क्ते। न स स्वाख्यातधर्मस्य, कलामर्घति षोडशीम्।। —समणसुत्त : २७३ जो बाल (परमार्थशून्य अज्ञानी) महीने—महीने के तप करता है और (पारणे में) कुश के अग्रभाग जितना (नाममात्र का) भोजन करता है, वह सुआख्यात धर्म की सोलहवीं कला को भी नहीं पा सकता। सो नाम…