आचरण :!
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] == आचरण : == बहुगंपि सुदमधीदं किं काहदि अजाणमाणस्स। दीवविसेसो अंधे णाणविसेसो वि तह तस्स।। —मूलाचार : १०/६५ जो आचरणरहित है वह बहुत से शास्त्रों को भी पढ़ ले तो उसका वह शास्त्र ज्ञान क्या कर सकता है ? जैसे अंधे के हाथ में दीपक की कोई उपयोगिता नहीं होती, उसी प्रकार…