आत्म-शम!
आत्म-शम Self – subdue, Self – conquerer. स्वयं को जीतने वाला।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सत्य महाव्रत – Satya Mahaavrata. Great vow of true speech (right speaking according to text). राग द्वेष या मोह से प्रेरित जैन साधुओं द्वारा सब प्रकार के झूठ वचनों का त्याग करना और आगम के अनुरूप बोलना सत्य महाव्रत है “
चक्रवाल व्रत Name of a vow to be observed with particular procedure at different Nakshatra days related to their respective lunar months. For eg. observing vow at the day of Chitra Nakshatra in the month of Chaitra. प्रत्येक मास से सम्बंधित नक्षत्र में अयह व्रत ३ वर्ष ३ माह तक किया जाता है जैसे -चैत्रमास…
आधार आधेय सम्बन्ध Mutual dependent relations. जिसमें रहा जाये वह आधार जो आश्रय लेवे वह आधेय, जैसे गुणों का आधार द्रव्य है, शरीर में हाथ आदि।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
इंद्रिय Organs of sense. जो सूक्ष्म आत्मा के अस्तित्व का ज्ञान कराने में सहायक हो। इन्द्रिय के पाँच भेद हैं-स्पर्शन घ्रान चक्षु और कर्ण।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] ब्रहत्कथासरितसागर – Brhatkathasaritasagara. A book written by Acharya Somdeva . आचार्य सोमदेव (ई. श. १९ मध्य ) द्वारा रचित एक कथाकोष “
आप्तोपज्ञ Auspicious preachings of Lord-Arihant. सच्चे देव-आप्त का कहा हुआ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == विषय : == खेलम्मि पडिअमप्पं जह न तरइ मच्छिआवि मोएऊं। तह विसयखेलपडिअं न तरइ, अप्पंपि कामंधो।। —इन्द्रियपराजय शतक : ४६ जिस तरह श्लेष्म में पड़ी हुई मक्खी श्लेष्म से बाहर निकलने में असमर्थ होती है, वैसे ही विषयरूपी श्लेष्म में पड़ा हुआ व्यक्ति अपने आपको विषय से अलग…
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वैक्रियिक षटक –VaikriyikaSarka A type of hexa pertaining to transformable body (of deities & hellish beings). वैक्रियिक शरीर व वैक्रियिक अंगोपांग, नरक गति व नरक गत्यानुपूर्वी, देवगति व देवगत्यानुपूर्वी “