स्थिति बंधापसरण!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थिति बंधापसरण – Sthiti Bamdhaapasarana. Reduction of karmic binding with soul.स्थिति बंध का क्रम से धटना।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थिति बंधापसरण – Sthiti Bamdhaapasarana. Reduction of karmic binding with soul.स्थिति बंध का क्रम से धटना।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाषा पर्याप्ति – Bhasha Paryapti. Power of vocal or verbal completion (caused by some karmic nature). स्वर नामकर्म के उदय से भाषा वर्गणा रूप पुद्ग्ल स्कन्धों को सत्य, असत्य, उभय, अनुभय भाषारूप परिणमावने की शक्ति की निष्पति होना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थावर -Sthaavara. Immobile or static beings like earth, water, air, fire & plants (one-sensed).स्थावर नामकर्म के उदय से जीव स्थावर कहलाते है। स्थावर जीव एक स्पर्षन इन्द्रिय के द्वारा ही जानता, देखता, खाता है इसलिये उसे एकेन्द्रिय स्थावर जीव कहा है। इनके पाॅच भेद है- पृथिवीकाय, जलकाय, अग्निकाय, वायुकाय और वनस्पति काय।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रिश्टसमुच्चय – आचार्य दुर्गदेव कृत मन्त्र तन्त्र विशयक एक संस्कृत गं्रथ का नाम। समय 11 षताब्दी Ristasamuccaya-name of a book related to mystical theme
चरमदेह Ultimate body, through which one attains salvation in the same birth. अंतिम शरीर, जिससे मोक्ष हो ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सम्यगनेकांत – Samyaganekaanta. Right philosophy of manifold religious aspects. युक्ति व आगम से अविरुद्व एक ही स्थान पर प्रतिपक्षी द्वारा अनेक धर्मों के स्वरुप का निरुपण करना सम्यगनेकान्त है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रत्नमाली – विद्याधर वंष का एक राजा Ratnamali- Name of a king of Vidyadhar Dynasty
चूर्णसूत्रवृत्ति A book written by Uchcharanacharya. उत्तारणाचार्य द्वारा यतिववृषभाचार्य (ई. १५०-१८०) कृत कषाय प्राभृत के चूर्नमा सूत्रों पर लिखित एक किताब ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] यषोबाहु – आदिनाथ भगवान के 84 गणधरो में एक गणधर का नाम, आचार्य यषोभद्र के षिश्य, इनका अपरनाम आचार्य भद्रबाहु द्वितीय था। यं 8 अंगधारी थे तथा लोहाचार्य – 2 के गुरू थे। समय – वी नि 515 – 565 Yasobahu-Name of a chief disciple of lord Adinath, Also the name of the disciple…
चतुर्विध उदय Four kinds of fruition. प्रकृति, स्थिति , अनुभाग , प्रदेश रूप उदय ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]