आचार्यश्री के चार स्वप्न (१) लोणंद में– लोणंद चातुर्मास के अन्त में आचार्य महाराज को यह स्वप्न रात्रि के अंतिम प्रहर में दिखाई पड़ा था, आचार्यश्री के आसपास ५०० से अधिक व्यक्ति बैठे थे। उस समय १२ हाथ लंबा सर्प घेरा बांधकर बैठा था। वह लोगों के पास से आकर महाराज के सिर पर चढ़…
आचार्य श्री पूज्यपाद स्वामी परिचय श्री पूज्यपाद स्वामी एक महान आचार्य हुए हैं। श्री जिनसेन, शुभचन्द्र आचार्य आदि ग्रन्थकारों ने अपने-अपने ग्रन्थ में उन्हें बड़े आदर से स्मरण किया है।यथा- कवीनां तीर्थकृद्देव: किं तरां तत्र वण्र्यते।विदुषां वाङ्मलध्वंसि तीर्थं यस्य वचोमयम्।। जो कवियों में तीर्थंकर के समान थे और जिनका वचनरूपी तीर्थ विद्वानों के शब्द सम्बन्धी दोषों…
आचार्य श्री पुष्पदन्त और भूतबलि परिचय पुष्पदन्त और भूतबलि का नाम साथ-साथ प्राप्त होता है फिर भी नंदिसंघ की प्राकृत पट्टावली में पुष्पदंत को भूतबलि से ज्येष्ठ माना गया है। धरसेनाचार्य के बाद पुष्पदंत का आचार्य काल ३० वर्ष का बताया है और इनके बाद भूतबलि का २० वर्ष कहा गया है अत: इनका समय…
मूल नंदि संघ आचार्य श्री कुन्दकुन्द का समय निर्धारण (गणितीय परम्परा के आधार से) भारतीय गणित इतिहास में अनेक ऐसे प्रसंग हैं जहाँ किये गये अनेक विध आविष्कारों को गुरु परम्परा से प्राप्त उल्लेखित किया गया है। विशेष कर दिगम्बर जैन दक्षिण आचार्य अखंड ज्ञान—धारा की अवशेष परम्परा में कर्म सिद्धान्त विषयक ग्रंथों में ऐसा…