महापुराण प्रवचन
आचार्य श्री जिनसेन दवारा लिखित महापुराण ग्रन्थ जिसमें प्रथम तीर्थंकर भगवान श्री ऋषभदेव के बारे में बताया गया है |
आचार्य श्री जिनसेन दवारा लिखित महापुराण ग्रन्थ जिसमें प्रथम तीर्थंकर भगवान श्री ऋषभदेव के बारे में बताया गया है |
आचार्यश्री के अमृत वचन दि. २२ अप्रैल, २०१४ को परमपूज्य आचार्य श्री विद्यानन्दजी मुनिराज की ९०वीं जन्म जयन्ती थी। इस अवसर पर मैं उनके द्वारा बार—बार बताये जाने वाले ९० अमृत वचनों का चिन्तन—मनन कर उन्हें अपनी विनयांजलि अर्पित करना चाहती हूँ, क्योंकि ये अमृत—वचन ही जीवन के सच्चे रत्न हैं। यथा— ‘‘पृथिव्यां त्रीणि रत्नानि…
अमृत वचन ये तीन वस्तुएं हमेश प्राप्त करें ज्ञान, गुण, लक्ष्य तीन शत्रु से दूर रहें जो जीवन को नर्क बनाते हैं अहंकार क्ररता एवं कृतघ्नता ये तीन चीजें जीवन में लाने की चेष्टा करें मितव्यता, परिश्रम, तत्परता तीन वस्तुओं का खुलकर प्रयोग करें प्रशंसा, दान और दुखी को सांत्वना तीन आचरण कभी न त्यागें…