ध्यान और ध्याता
ध्यान और ध्याता मुनिवरगण ध्यान लगा करके, इन द्विविध मोक्ष के कारण को। जो निश्चय औ व्यवहार रूप, निश्चित ही पा लेते उनको।। अतएव प्रयत्न सभी करके, तुम ध्यानाभ्यास करो नित ही। सम्यक् विधि पूर्वक बार-बार, अभ्यास सफल होता सच ही।।४७।। मुनिराज निश्चित ही ध्यान के द्वारा व्यवहार और निश्चय इन दोनों प्रकार के मोक्ष…