वन्दनायोग्य पद्मासनादि
वन्दनायोग्य पद्मासनादि…. पद्मासनं श्रितौ पादौ जंघाभ्यामुत्तराधरे। ते पर्यंकासनं न्यस्तावूर्वोर्वीरासनं क्रमौ।।६।। अर्थात्-दोनों जंघाओं (गोड़ों) से दोनों पैरों के संश्लेष को पद्मासन कहते हैं अर्थात् दाहिने गौड़ के नीचे बायें पैर को करना और बाएँ गोड़ के नीचे दाहिने पैर को करना अथवा बाएँ पैर के ऊपर दाहिने गौड़ को करना और दाहिने पैर के ऊपर वायें…