02. एकीभाव स्तोत्र विधान-पूजन
एकीभाव स्तोत्र विधान-पूजन -स्थापना (शंभु छंद)- तीर्थंकर प्रभु की भक्ति सदा ही, सच्चे सुख को देती है। वह दुर्गति का वारण करके, भव-भव के दुख हर लेती है।। श्रीवादिराज मुनि ने प्रभु भक्ति से, तन का कुष्ट मिटाया था। निज काया को कर स्वस्थ स्वर्णमय, धर्मरूप दर्शाया था।।१।। -दोहा- प्रभु भक्ती में रच दिया, एकीभाव…