45. भगवान महावीर की दिव्यध्वनि श्रावण कृष्णा एकम् को खिरी
भगवान महावीर की दिव्यध्वनि श्रावण कृष्णा एकम् को खिरी स दिव्यध्वनिना विश्वसंशयच्छेदिना जिन:। दुन्दुभिध्वनिधीरेण योजनान्तरयायिना।।९०।। श्रावणस्यासिते पक्षे नक्षत्रेऽभिजिति प्रभु:। प्रतिपद्यह्मि पूवाह्ने शासनार्थमुदाहरत्।।९१।। तदनन्तर श्रीवर्धमान प्रभु ने श्रावण मास के कृष्णपक्ष की प्रतिपदा के प्रात:काल के समय अभिजित नक्षत्र में समस्त संशयों को छेदने वाले, दुन्दुभि के शब्द के समान गम्भीर तथा एक योजन तक फैलने…