18. यज्ञ दीक्षा विधान
यज्ञ दीक्षा विधान बसंततिलका छंद अर्हंत सन्मुख धरी सब वस्तुयें हैं। मं त्रित किया वर अनादि सुमंत्र से मैं।। श्रीमान् गुरुवर निकट यह यज्ञ दीक्षा। लेकर जिनेंद्रवर पूजन को करूँ मैं।।१।। (चंदन, माला, मुकुट आदि प्रसाधन वस्तुयें एक पात्र में लेकर भगवान् के सन्मुख रखना, पुन: अनादि सिद्ध मंत्र बोलकर मंत्रित करके आगे के मंत्रों…