महापुराण प्रवचन-१
महापुराण प्रवचन-१ श्रीमते सकलज्ञान, साम्राज्य पदमीयुषे। धर्मचक्रभृते भत्र्रे, नम: संसारभीमुषे।। महापुराण ग्रंथ के इस मंगलाचरण में श्री जिनसेनाचार्य ने किसी का नाम लिए बिना गुणों की स्तुति की है। जो अंतरंग बहिरंग लक्ष्मी से सहित एवं सम्पूर्ण ज्ञान से सहित हैं, धर्मचक्र के धारक हैं, तीन लोक के अधिपति हैं और पंचपरिवर्तनरूप संसार का भय…