98. देवों के यान-विमान,वस्त्राभरण नित्य व अनित्य भी हैं।
देवों के यान-विमान,वस्त्राभरण नित्य व अनित्य भी हैं। वालुगपुप्फगणामा याणविमाणाणि सक्कजुगलम्मि। सोमणसं सिरिरुक्खं सणक्कुमारिंददुदयम्मि।।४३८।। बिंम्हदादिचउक्के याणविमाणाणि सव्वदो भद्दा। पीदिकरम्मकणामा मणोहरा होंति चत्तारि।।४३९।। आणदपाणदइंदे लच्छीमादिंतिणामदो होदि। आरणकप्पिंददुगे याणविमाणं विमलणामं।।४४०।। सोहम्मादिचउक्के कमसो अवसेसकप्पजुगलेसुं। होंति हु पुव्वुत्ताइं याणविमाणाणि पत्तेक्वं।।४४१।। पाठान्तरम्। एककं जोयणलक्खं पत्तेक्वं दीहवाससंजुत्ता। याणविमाणा दुविहा विक्किरियाए सहावेणं।।४४२।। ते वक्किरियाजादा याणविमाणा विणासिणो होंति। अविणासिणो य णिच्चं सहावजादा परमरम्मा।।४४३।।…