भावनिर्जरा-द्रव्यनिर्जरा
भावनिर्जरा-द्रव्यनिर्जरा जिन परिणामों से यथाकाल, फल देकर पुद्गल कर्म झड़े। और जिन भावों से तप द्वारा, फल दें अकाल में कर्म झड़ें।। बस भावनिर्जरा कहलाता, है भाव वही ऐसा जानो। है द्रव्यनिर्जरा कर्मों का, झड़ना यह बात सही मानो।।३६।। यथासमय-उदय काल में फल देकर अथवा तप के द्वारा आत्मा के जिन भावों से कर्म झड़…