04. आस्रव-संवर-निर्जरा-बंध अधिकार पूजा
(पूजा नं.-4) आस्रव-संवर-निर्जरा-बंध अधिकार पूजा स्थापना-स्रग्विणी छन्द अर्चना मैं करूं श्री समयसार की, वंदना मैं करूं श्री समयसार की। शुद्ध अध्यात्मपथ है समयसार ही, सार में सार है यह समयसार ही।।टेक.।। तत्त्व आश्रव व संवर कहा निर्जरा, बंध के साथ संबंध सबका कहा। चार अधिकार क्रम से ये माने गये, इन सहित पूजा कर लूँ…