(निर्दोष हेतु का कथन)
(निर्दोष हेतु का कथन) शंका-पक्ष में धर्म, सपक्ष में तत्त्व और विपक्ष से व्यावृत्ति ये तीन रूप हेतु के लक्षण हैं। पुन: आपके द्वारा मान्य अविनाभाव रूप एक लक्षण उसका नहीं बन सकता है ? अन्यथा असिद्ध, विरुद्ध और अनैकांतिक दोषों का निराकरण नहीं हो सकेगा ? समाधान-ऐसा नहीं कहना, क्योंकि असाधारणस्वरूप ही लक्षण होता…