रेवती रानी की कथा
रेवती रानी की कथा दक्षिण मथुरा में दिगम्बर गुरु गुप्ताचार्य के पास क्षुल्लक चन्द्रप्रभ थे। उन्होंने आकाशगामिनी आदि विद्या को नहीं छोड़ने से मुनिपद नहीं लिया था। एक दिन वे तीर्थ वंदना के लिए उत्तर मथुरा आने लगे तब गुरु से आज्ञा लेकर पूछा-भगवन्! किसी को कुछ कहना है ? गुरु ने कहा-वहाँ पर विराजमान…