पंचम अध्याय का भजन
पंचम अध्याय का भजन…. हे वीतराग सर्वज्ञ देव! तुम हित उपदेशी कहलाते। तव गुणमणि की उपलब्धि हेतु, हम भी प्रभु तेरे गुण गाते।।टेक.।। है जीव से भिन्न अजीव तत्व, जो पाँच भेद युत कहलाता। पुद्गल नभ धर्म अधर्म काल से, उसको पहचाना जाता।। इनमें से बस पुद्गल मूर्तिक, अरु पाँच अमूर्तिक कहलाते। तव गुणमणि की…