आस्रव स्वरूप और कारण!
आस्रव स्वरूप और कारण संसार—भ्रमण के प्रमुख हेतु आस्रव और बन्ध हैं। कारण के बिना कार्य की उत्पत्ति नहीं हाती है। इसलिए संसाररूपी कार्य को जानने के लिए उसके कारण आस्रव एवं बन्ध को जानना आवश्यक है। आस्रव पूर्वक बन्ध होता है आस्रव को समझने के लिए आस्रव के कारणों पर विचार किया जा रहा…