समणसुत्तं में प्रतिपादित ज्ञान-मीमांसा!
समणसुत्तं में प्रतिपादित ज्ञान-मीमांसा तीर्थकर महावीर के २५०० वें निर्वाण वर्ष की अनेक उपलब्धियें में ‘समणसुत्तं ‘ जैसा आगम शास्त्र एक स्थायी सर्वमान्य महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है । दिगम्बर-श्वेताम्बर दोनों ही परम्पराओं के प्राकृत आगमों से विषयानुसार गाथायें चयनकर इसे पूज्य जिनेन्द्र वर्णी जी ने भूदान और गांधीवादी एवं सर्वोदयी चिंतनधारा के लिये समर्पित राष्ट्रसंत विनोबा…