चल पड़े जिस तरफ दो कदम मात के!
चल पड़े जिस तरफ तर्ज—जिस गली में…… चल पड़े जिस तरफ दो कदम मात के, कोटि पग चल पड़े उस तरफ देश के। पड़ गई दृष्टि जिस तीर्थ पर मात की, कोटि दृष्टी में वे छा गए देश की।। टेक.।। मुक्तिपथ पर चली जब वो कच्ची कली, फूल बन बालसतियों की बगिया खिली।…