गुणश्रेणी निर्जरा!
गुणश्रेणी निर्जरा Multiple progression dissociation. जब कर्मों की निर्जरा प्रतिसमय क्रमशः असंख्यात गुणी संख्यात हो तो इसे गुणश्रेणी निर्जरा कहते हैं।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
गुणश्रेणी निर्जरा Multiple progression dissociation. जब कर्मों की निर्जरा प्रतिसमय क्रमशः असंख्यात गुणी संख्यात हो तो इसे गुणश्रेणी निर्जरा कहते हैं।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
खंडनखंडखाद्य A book written by ‘Shri Harsh’. वेदान्त साहित्य प्रवर्तक ‘श्री हर्ष ‘द्वारा रचित एक ग्रन्थ ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] बोधायन – Bodhayana. Name of a commentator of Vedant literature. बादरायण के ब्रम्हसूत्र पर टीका लिखने वाले एक वेदांत साहित्य प्ररर्तक “
उत्सर्गपद्धति A supreme dedicational system (of omniscient etc.) for getting salvation.मोक्षमार्ग की वह पद्धति जिसमें वज्रवृषभनाराच प्रथम संहनन से ही ध्यान अथवा मोक्ष होता है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाव सामायिक – Bhava Samayika. Equanimity in pain & pleasure. सुख – दुःख में साम्यभाव धारण कर मैत्रीभाव के साथ सम्पूर्ण सावध से निर्वत्त ह्नुं, इन भावों के साथ सामायिक करना “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == सम्मान : == तम्हा सव्वे वि णया, मिच्छादिट्ठी सपक्ख—पडिबद्धा। अण्णोण्णणिस्सिया उण, हवंति सम्मत्तसब्भावा।। ——सन्मति तर्क प्रकरण : १-२१ अपने—अपने पक्ष में ही प्रतिबद्ध परस्पर निरपेक्ष सभी नय (मत) मिथ्या हैं, असम्यक् हैं, परन्तु ये ही नय जब परस्पर सापेक्ष होते हैं तब सत्य एवं सम्यक् बन जाते हैं।…
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भूमिशय्याव्रत – Bhumishayyavrata. A basic restraint of Jaina saints, to sleep on the earth. साधु के २८ मूलगुणों में एक मूलगुण; पृथिवी पर शयन करना “
[[श्रेणी: शब्दकोष]] भोक्त्रत्व नय:A viewpoint believing that soul is the enjoyer of joy & sorrow. नय; जिसकी अपेक्षा से आत्मद्रव्य सुख-दुखादि का भोक्ताहै “
ततवार्थवृत्ति Name of a commentary book written on ‘Tattvarthsutra’. तत्वार्थसूत्र टीका विषयक एक ग्रंथ, आचार्य श्री श्रुतसागर सूरि द्वारा लिखित । [[श्रेणी:शब्दकोष]]