सहसातिचार!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सहसातिचार – Sahasaatichaara. Sudden inclination towards inauspicious thoughts & speech. अशुभवचन और अशुभ विचारो में वचन की और मन की तत्काल अविचार पूर्वक प्रवृत्ति होना, इसको सहसातिचार कहते है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सहसातिचार – Sahasaatichaara. Sudden inclination towards inauspicious thoughts & speech. अशुभवचन और अशुभ विचारो में वचन की और मन की तत्काल अविचार पूर्वक प्रवृत्ति होना, इसको सहसातिचार कहते है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रामाण्य भंग- आचार्य अनन्तकीर्ति (ई.श. 8 मध्यपाद) द्वारा रचित एक ग्रंथ। PramanyaBhanga- A book written by acharyaAnantkriti
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्राभृतप्राभृत- श्रुतज्ञान के 20 भेदों में 13 वाँ भेद, यह ज्ञान अनुयोग समास ज्ञान में एक अक्षररुप श्रुतज्ञान की वृद्धि होने से होता है। PrabhrtaPrabhrta- A type of Scriptural Knowledge (shrutgyan)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] राक्षस वंश – पिद्याधरो का एक वंष, ये न देव होते हे न राक्षस। राक्षस नामक द्वीप के रक्षक होने से राक्षस कहलाये। Raksasa vansa-Name of a dynasty
ऊर्ध्वव्यतिक्रम Exceeding the limits set in the direction, namely upwards. दिग्व्रत का तीसरा अतिचार लोभवश ऊपर की सीमा का उल्लंघन करना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्राणावाय पूर्व- 14 पूर्वो में से बारहवाँ पूर्व, जिसमें षरीर चिकित्सा आदि अश्टांग आयुर्वेद, भूतिकर्म, जागुलिक कर्म (विश विद्या) और प्राणायाम के भेद प्रभेदों का वर्णन होता है। Pranavayapurva-A (purva) part of scriptural knowledge (Shrutgyan)
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यथानुपूर्व–Yathanupurv. A synonym word of Shrutgyan (scriptural knowledge). श्रुतज्ञान का एक पर्यायवाची नाम”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्राच्य- पूर्व दिषा। प्रत्येक षुभ कार्य में प्राची दिषा की प्रधानता होती है। Pracya- east direction (to have importance)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रात्रिभुक्तित्याग – रात्रि भोजन का त्याग करना, इसका पालन करना जैन श्रावक की पहचान है श्रावक की 11 प्रतिमाओं 6 प्रतिमा मन वचन कार्य से रात्रि में चतुर्विध आहार का त्याग करना। इस प्रतिमा का द्वितीय नाम द्विवामैथुन त्याग भी आता है। Ratribhuktityaga- Renunciation of night eating (meal), the sixth spiritual stage of house…
झारी A pitcher having a long neck & a spout, to be kept near the idol of Lord Jinendra. जिनेन्द्र देव की प्रतिमाओं के समीप वि?मान रहने वाले अष्ट मंगल द्रव्यों में से एक, इस झारी से भगवाना का अभिषेक भी किया जाता है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]