संसारानुप्रेक्षा!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संसारानुप्रेक्षा – Sansaaraanuprekshaa. Contemplation about the wordly troubles. 12 भावनाओं में एक भावना; संसार के स्वभाव एवं संसार परिभ्रमण का अर्थात् दुःखमय स्वरुप का चिंतन करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संसारानुप्रेक्षा – Sansaaraanuprekshaa. Contemplation about the wordly troubles. 12 भावनाओं में एक भावना; संसार के स्वभाव एवं संसार परिभ्रमण का अर्थात् दुःखमय स्वरुप का चिंतन करना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विविक्त वसतिका – Vivikta Vasatika. Lonely or isolated place (hermitage). एकांत , ध्यान आदि के योग्य पवित्र-निर्दोष, साधु के रहने का स्थान “
द्वितीय संग्रह कृष्टि A type of krishti-gradual destruction of karmas. 4 कषायों की तीन- तीन कृष्टी होती हैं इस तरह संग्रहकृष्टि 12 होती हैं, उनमें दूसरी कृष्टि।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
द्वारापेक्षण To wait at the door to offer food to any recipient (saint etc.). आहार दान के लिए द्वार पर पात्र की राह देखते हुए खड़े होना।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] परस्थान संक्रमण:Particular transition to other place (reg. other sangrah Krishti).संक्रमण का एक भेद । दूसरी अन्य संग्रह कृष्टियों में या पर रूप परिणमन करना ।
दातार Donator of food, medicines etc. श्रद्धा, भक्ति, संतोष आदि 7 गुणों के साथ आहार आदि दान करने वाला। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
आर्वतनता Turning motion, Rotation, Limited modification. आर्वत करना, चारों ओर घूमना सीमित परिणाम या परिणाम या परिर्तन।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
त्रिज्ञानसिद्ध A type of salvated beings (possessing three basic knowledges). भूतप्रज्ञापननय की अपेक्षा से तीन ज्ञान से सिद्ध होने वाले जीव । [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
उत्सर्गलिंग Form of unclothedness (of Digambar Jaina saints). जैन साधु का द्रव्य (दिगम्बर) लिंग।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शरीर – Shareera. Body, it is of five kinds-Audarik, Vaikriyik, Aharak, taijs & Karman. सप्तधातु से निर्मित देह, यह 5 प्रकार का होता है – औदारिक, वैक्रियिक, आहारक, तैजस और कार्माण “