राजर्शि!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] राजर्शि – ऋशि का एक भेद – विक्रिया और अक्षीण षक्ति के धारक साधु। Rajasrsi- A type of saints possessing super powers
[[श्रेणी:शब्दकोष]] राजर्शि – ऋशि का एक भेद – विक्रिया और अक्षीण षक्ति के धारक साधु। Rajasrsi- A type of saints possessing super powers
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मूढ़ता–Muudhta. Ignorance, Stupidity. अज्ञानता, तत्वों के यथार्थ ज्ञान में भड़क कुद्रष्टि” इसकेतीन भेद है – देवमूढ़ता, गुरुमूढ़ता, लोकमूढ़ता”
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == गच्छ : == रत्नत्रयमेव गण:, गच्छ: गमनस्य मोक्षमार्गस्य। संघो गुणसंघात:, समय: खलु निर्मल: आत्मा।। —समणसुत्त : २६ रत्नत्रय ही ‘गण’ है। मोक्षमार्ग में गमन ही ‘गच्छ’ है। गुण का समूह ही संघ है तथा निर्मल आत्मा ही समय है। अत्यं यासइ अरहा सुत्तं गंथंति गणहरा निउणं। अर्थ (सिद्धान्त/भाव…
चक्षुःश्रवा A sanke having hearing sense through eyes. सरो, यह आँख के मार्ग से ही सुनता है ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शुद्धद्रव्य नैगम नय – Shuddhadravya Naigama Naya. A standpoint pertaining to pure matters. शुद्धद्रव्य को विषय करने वाले संग्रह व व्यवहार नय “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुनरुज्जीवन – Punarujjivana. Resurrection, resurgence. पुनर्जीवन “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विषयाभिलाषा – Vishayabhilasha. Intense lust for passions. तृष्णा; सांसारिक सुखदायक पदार्थ कभी भी मेरे से अलग न होवें ऐसी तीव्र अभिलाषा “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुद्गल परमाणु – Pudgala Paramanu. Indivisible particle of the matter (Pudgal). एक प्रदेशी पुद्गल जिसका दूसरा हिस्सा नहीं हो सकता तथापि यह उत्पाद व्यय गुण सहित होता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वामन संस्थान – Vaamana Sansthaana.: A Karmic nature causing pigmy or short heightened body. नामकर्म की एक प्रकृति; जिस कर्म के उदय से जीव का बौना शरीर होता है “
देवमरण A part of first forest Bhadrashal of Sumeru mountain. सुमेरू पर्वत के प्रथम वन भद्रशाल का एक भाग। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]