देवलोक!
देवलोक Celestial world (heaven). देवगति या सुरलोक।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाव सत्य – Bhava Satya. True statements, A type of truth. १० प्रकार के सत्य का एक भेद; जो पदार्थ इन्दिृयगोचर न हो उसमें सिध्दांत के अनुसार वचन कहना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रतिसेवना कुशील – pratisevana kusila कुशील Saints with slight lapse in secondary virtues निग्र्रथ साधु का भेद जो मूल व उत्तरगुड़ो को पालते है लेकिन कभी-कभी उत्तरगुड़ो में दोश लगातें है।
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यक्षिणी– Yakshini. Female demigod. 24वर्तमान तीर्थंकर भगवंतो की शासन यक्षिणी क्रमशः इस प्रकार है– 1. चक्रेश्वरी देवी 2. रोहिणी देवी 3. प्रज्ञप्तिदेवी 4. व्रजश्रृंखला देवी 5. पुरुषदत्ता देवी 6. मनोवेगा देवी 7. काली देवी 8. ज्वालामालिनी देवी 9. महाकाली देवी 10. मानवी देवी 11. गौरी देवी 12. गांधारी देवी 13. वैरोटी देवी 14….
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वसंयोगी – Svasammyogii. Something self correlative. भग का एक भेद। जहाॅ निज भाव के भेद का संग रुप ही भग हो वह स्वसंयोगी भंग है। जैसे- क्षायिक सम्यक्त्व एवं क्षायिक चारित्र वाला द्विसंयोगी क्षायिक भाव।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वानप्रस्थ आश्रम – Vanprastha Asrama. The third progressive spiritual stage of mundane life. धर्म क्रियाओं के भेद से ब्रह्मचर्य, ग्रहस्थ, वानप्रस्थ. संन्यास इन चार आश्रमों में तीसरा भेद ” देखें- वाणप्रस्थ “
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वर्ण कमल – Svarna Kamala. Gold lotus, one of the 14 transcendental creations of Lord Arihant (natural creation of gold/golden lotuses in all directions). सोने के कमल, अर्हत भगवान के 14 देवकत अतिषयो मे एक अतिषय, तीर्थकरो के श्रीविहार मे चरणो के नीचे एवं चारो दिषाओ मे व विदिषाओ मे स्वर्ण कमल की रचना…
परिग्रह- लोभ कषाय के उदय से विषयों के संग को परिग्रह कहते हैं। ‘यह वस्तु मेरी है’ इस प्रकार संकल्प रखना परिग्रह है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
उपशांत Unrevealed state of attachment and malice. राग द्वेष की अप्रगट अवस्था।[[श्रेणी:शब्दकोष]]