प्रत्येक भंग!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रत्येक भंग- जहां अलग-अलग भाव हो वह प्रत्येक भंग है। pratyeka bhamga – each part, different feelings.
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रत्येक भंग- जहां अलग-अलग भाव हो वह प्रत्येक भंग है। pratyeka bhamga – each part, different feelings.
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नागार्जुन – Nagarjuna A great personality of Bauddha, Name of a writer of Ayurved. एक बौध विद्वान (आचार्य पूज्यपाद स्वामी से प्राप्त पघावती मंत्र को सिद्ध करके इन्होने स्वर्ण बनाने की विघा प्राप्त की)” कर्नाटक जैन कवी-वैघक शाश्त्र में पारंगत एवं नागार्जुन कल्प आदि वैघक गंथ्रो के कर्ता ”
[[श्रेणी : शब्दकोष]] मनुष्यणी- Manushyanii. Woman , female sex. मनुष्यिनी या स्त्री “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रत्येक पद- जो भ्ज्ञाव एक जीव के एक काल में यगपत संभव हो ऐसे भाव प्रत्येक पद कहलाते है। pratyeka pada – feelings simultaneously existing of one in a praticular time period
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == व्यसन : == जूयं मज्जं मंसं वेसा पारद्धि—चोर—परयारं। दुग्गइगमणस्सेदाणि हेउभूदाणि पावाणि।। —वसुनंदीश्रावकाचार : ५९ जुआ खेलना, मदिरापान, मांसाहार, वेश्यागमन, शिकार खेलना, चोरी करना और परस्त्रीगमन करना, ये पाप की ओर तथा दुर्गति में ले जाने के कारण हुआ करते हैं।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रमदा- प्रमाद की बहुलवा से स्त्रियों को प्रमदा कहते हैं, समवषरण की नाट्यषाला। Pramada- Lustful women, Name of a stage of drama in Samavasharan- assembly of Lord
[[श्रेणी : शब्दकोष]] पृथिवीकाय – Prthivikaya. Earth body (earthen), it is an inanimate form. पृथिवीकायिक जीव के द्वारा छोड़े गये शरीर को पृथिवीकाय कहते हैं ” जैसे – ईंट आदि ” जो अचेतन होते हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रभावना- सम्यग्दर्षन ज्ञान चारित्र रुप रत्नत्रय के प्रभाव से आत्मा को प्रकाषमान करना। ज्ञान,ध्यान, तप, दया, दान, जिन पूजा आदि के द्वारा जिनधर्म की महिमा को प्रकाषित करना। Prabhavana – Glorification, Promotion (influencing pertaining to religion)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सहस्रनाम विधान – Sahasranaama Vidhanaa. A composition of worshipping hymn composed by Ganini Aryika Shri Gyanmati Mataji. श्री जिनसेनाचार्य द्वारा रचित सहस्रनाम स्तोत्र के आधर पर गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी द्वारा सन 1954 में रचे गये 1008 मंत्रों के अर्थ को छन्दों में निबद्ध करके रचित 1008 अध्र्यो वाला विधान ।