द्वादशंग!
द्वादशंग Twelve parts of scriptural knowledge. श्रुत के 12 अंग ; द्रव्यश्रुत रूप की रचना गणधर करते हैं इसे ही जिनवाणी कहते है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
द्वादशंग Twelve parts of scriptural knowledge. श्रुत के 12 अंग ; द्रव्यश्रुत रूप की रचना गणधर करते हैं इसे ही जिनवाणी कहते है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
एकालापक A type of entertainment, one answer for two questions. मनोरंजन का एक प्रकार, दो प्रशनों का एक ही उत्तर मांगना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
आलेख्याकार Painting with realness. चित्रकारी-केवलज्ञान में चित्रपट के समान तीनों काल की वस्तुएं चित्र के समान (आलेख्याकार) साक्षात भाषित होती है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भावशुध्दि – Bhavasuddhi. Mental purity, passionlessness. राग, द्वेष, अहंकार, आर्त व रौद्र ध्यान आदि समस्त अशुभ परिणाम से रहित होना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वैक्रियिक समुदघात –VaikriyikaSamudghata Overflowing of soul points from the body for transforming the own shape. विक्रिया करने के लिय अथार्त शरीर को छोटा, बड़ा या अन्य शरीर रूप करने के लिय आत्मा के प्रदेश शरीर से बाहर निकलते हैं वह वैक्रियिक समुदघात हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रक्रम – Prakrama. Sequence, A type of Karmic matter, a type of Anuyogdvar. क्रमबध्द, कार्माण पुद्ग्ल प्रचय को प्रक्रम कहते हैं, अग्रायणीयपूर्व की कर्मप्रक्रति वस्तु का ८ वां अनुयोग्द्वार “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वृत्तिसूत्र –Vrttisutra. Briefing of some principle etc. जिसमे संक्षिप्त शब्दों में या सूत्र के समस्त अर्थ को संग्रहीत कर लिया जाता हैं “
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मुनिदेव–Munidev. The chief disciple of Lord Adinath. भगवान् आदिनाथ के गणधरो का नाम”
आतपन Fourth layer (Patal) of the third hell. तीसरे नरक का चैथा पटल।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वासना – Vaasanaa.: Passion,Passionate feelings. संस्कार, अविद्या ,अज्ञान, कषाय आदि की पुनः पुनः प्रवृत्ति रूप अभ्यास से उत्पन्न संस्कार वासना कहलाते हैं “